लेखनी कहानी -17-Oct-2022... चालिआ महोत्सव..
चालिआ महोत्सव
सिंधी समाज के आज दो ओर प्रमुख त्यौहार के बारे में आज फिर से बता रहें हैं...। जिसमें पहला आता हैं... चालिआ महोत्सव..।
हर त्यौहार की तरह इसके पीछे भी एक कथा प्रचलित हैं... वो आगे पता चल ही जाएगा... लेकिन पहले इसे मनाते कहते हैं वो बता रहे हैं...।
इस महोत्सव में चालिस दिन तक कठिन व्रत किए जाते हैं..। एक समय का नमक बिना का सात्विक खाना खाया जाता हैं..। उसके अलावा चालिस दिनों तक चमड़े की बनी चीजों का त्याग किया जाता हैं जैसे पर्स, बेल्ट वगैरह...। उसके अलावा इन चालिस दिनों में चप्पल या जूते भी नहीं पहने जाते हैं..।
दो समय सवेरे और संध्या में झूलेलाल जी के मंदिर में जाकर पूजा पाठ किया जाता हैं..। घर में या मंदिर में मटकी स्थापित की जाती हैं जिसमें अखंड ज्योति प्रज्ज्वलित की जाती हैं..।
चालिसवें दिन सभी लोग अपनी अपनी मटकी का विसर्जन करते हैं..। गाजे बाजे के साथ सिंधी नृत्य (छेज़) का भी आयोजन किया जाता हैं.. ।
चालिस दिनों तक चलने वाले इस व्रत में इसके अलावा भी अलग अलग जगहों पर लोग अपने हिसाब से नियम और कायदे रखते हैं..।
यह महोत्सव बेहद मुश्किल माना जाता हैं... चालिस दिन लगातार औरतों के लिए व्रत रखना बेहद कठिन होता हैं( मासिक धर्म की वजह से) इसलिए यह व्रत मुख्यतः सिंधी समाज के पुरुष वर्ग ज्यादा रखते हैं..।
अब जानते हैं इसके पीछे की कथा..
सिंध प्रांत के बादशाह मृखशाह के जुल्मों से परेशान होकर सिंधी समाज के लोगों ने चालीस दिन तक किया था..। तब 40वें दिन उनके इष्टदेव झूलेलाल जी का अवतार हुआ...। इसी याद में प्रतिवर्ष सूर्य के कर्क राशी में आ जाने पर 16 जूलाई से 24 अगस्त के बीच की अवधि में चालिआ महोत्सव मनाया जाता हैं...।
Natasha
04-Apr-2023 05:11 AM
Waiting for next chapter
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Natasha
04-Apr-2023 05:10 AM
Nice
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Gunjan Kamal
18-Nov-2022 08:37 AM
बहुत ही सुन्दर
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